भारत में ट्रस्ट एक कानूनी व्यवस्था है, जिसमें एक व्यक्ति, जिसे सेटलर कहा जाता है, किसी संपत्ति या परिसंपत्तियों को किसी तीसरे पक्ष, जिसे लाभार्थी कहा जाता है, के लाभ के लिए प्रबंधन हेतु किसी अन्य पक्ष, जिसे ट्रस्टी कहा जाता है, को हस्तांतरित करता है।
यह व्यवस्था एक प्रत्ययी संबंध स्थापित करती है, जिसका अर्थ है कि ट्रस्टी लाभार्थियों के सर्वोत्तम हित में ट्रस्ट की परिसंपत्तियों का प्रबंधन और संरक्षण करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है।
ट्रस्टों का संचालन भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 के तहत होता है, तथा वे अनेक उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं, जिनमें परिवार के सदस्यों के लिए प्रावधान करना, परिसंपत्तियों की सुरक्षा करना, तथा यह सुनिश्चित करना शामिल है कि संपत्ति का हस्तांतरण संस्थापक की इच्छा के अनुसार हो।
भारत में ट्रस्टों का उपयोग आमतौर पर संपत्ति की सुरक्षा, पारिवारिक संपत्ति हस्तांतरण और कर नियोजन के लिए किया जाता है।
ट्रस्ट बनाकर, ट्रस्टकर्ता अपनी परिसंपत्तियों को प्रभावी रूप से सुरक्षित कर सकते हैं तथा अपने लाभार्थियों, आमतौर पर परिवार के सदस्यों को, संरचित तरीके से वित्तीय सहायता प्रदान कर सकते हैं।
ट्रस्ट संपत्ति के प्रबंधन और संरक्षण में मदद करते हैं, परिसंपत्तियों के सुचारू हस्तांतरण में सहायता करते हैं, तथा यह सुनिश्चित करते हैं कि निपटानकर्ता के इरादे कानूनी रूप से बरकरार रहें।
इसके अतिरिक्त, ट्रस्ट महत्वपूर्ण कर लाभ प्रदान कर सकते हैं, जिससे वे संपत्ति नियोजन और परिसंपत्ति प्रबंधन के लिए एक आकर्षक विकल्प बन जाते हैं।